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अपनी यह दुनियाँ हैं गोल,
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पर इंटरनेट ने इसे आज दिया हैं खोल,
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हर एक कोने को हैं जोड़ा,
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अब हम जानते हैं सब कुछ मगर थोड़ा थोड़ा।
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गूगल चाचू से ज्ञान बँटा है,
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इनफार्मेशन जैसे उँगलियों में सजा है,
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कुछ भी पूछो,
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एलेक्सा है बताती,
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जैसे नानी हो सबकी
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न जाने कितनी बातें है सुनाती,
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छोटे छोटे कलाकार,
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आज इंटरनेट की बदौलत
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न जाने कितने कर रहें है चमत्कार।
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घर बैठे हमें कितना कुछ है सिखाया,
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इंटरनेट ने लॉकडाउन में भी मनोरंजन का साधन है बनाया।
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इतना कुछ दिखाया और सिखाया है तुमने हमें,
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पर एक दुसरे से जूदा किया है तुमने हमें,
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आज एक ही परिवार में कोई एक दूजे के लिये,
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समय नहीं निकालता,
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आज हर एक आपने मोबाइल को ही जब देखो है चलाता।
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प्यार, मोहोब्बत,रिश्ते नातें,
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सब बन कर रह गये है कठपुतली के खेल की भाँती।
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सोशल मिडिया जैसे छाया है मानों दुनिया पर कोई कोहराम,
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लोग एक दूजे के साथ होते हुए भी अलग हो कर,
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चलाते है फेसबुक और इंस्टाग्राम।
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इंटरनेट ने दोस्त दिये हज़ारों है,
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पर रह गया कहीं से इंसान अकेला ही।
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क्या फायदा इंटरनेट तुम्हारा?
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इस टेक्नोलॉजी का?
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जिसने जोड़ा हमें इतनो से है,
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पर कर दिया अलग अपनों से है।।
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मौमिता चक्रबर्ती
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