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1.)

चलो तुम्हें थोड़ा पीछे ले जाते हैं,

मां क्या होती है,

उसका एहसास कराते हैं,

नौ महीने गर्भ में रखती,

कोख में पल रही संतान से,

बांटती हर दुख दर्द वो,

एहसास संतानोत्पत्ति का,

उसको खुशी देता,

ममत्व का एहसास,

कोख में बैठा बच्चा भी करता,

करता वही अठखेली वो तो,

मां को उसका एहसास होता,

अपने से ज्यादा बच्चे की चिंता करती,

बच्चा हुआ नहीं उससे पहले कमरा,झूला,

गेम, टैडी ला कमरा सजाती,

बुन लेती स्वेटर जुराबें और टोपी,

और चुप चुप बच्चे से बात करती,

बताती वो कितनी खुश हैं,

मां तो बिल्कुल ऐसी होती,

ममता का अथाह सागर है,

बच्चे के लिए वो भगवान है,

खुद का क्या अस्तित्व है,

नहीं जानती,

पर बच्चे के सपनों को साकार करती,

हर इच्छा बिन बोले पूरी करती,

वो तो मां है सब जानती है,

पर मां की इच्छाएं, खुशियां,

कोई क्यों नहीं जानता,

मां भी तो इंसान हैं,

उसकी भी कोई पहचान है,

उसका एहसास क्यों नहीं किसी को,

क्योंकि मां भुला अपनी पहचान,

सिर्फ बच्चों की मां बन जाती।

Pinki khandelwal


2.)

मां

मां, माता, जननी अनेक नामों से जानी जाती है

मां शब्द सुनते ही अपने आप में वो

गौरव की अनुभूति करती है

मां शब्द में मानो जैसे ब्रम्हांड समाया है

दिल में उसके ममता का भंडार और

मन में अथाह प्रेम समाया है

औलाद के लिए सदा मर मिटने को तैयार रहती है

हृदय कोमल फूल सा उसका पर बात बच्चों की

आए तो झट से चंडी का रुप धारण करती है

बचाने के लिए दुनियां की नजरों से

बच्चों को सदा अपने आंचल में छुपाकर रखना चाहती है

लग ना जाए बुरी नजर किसी की

इसलिए वो अपने जिगर के टुकड़े को

काला टीका लगाती है ,,,,,,

देख कर उसकी आंख में आंसु एक

वो खुद हजार आंसु रोती है

सह सकती है सब कुछ पर बच्चों की जुदाई

वो कभी सह ना पाती है

जुदाई में उनकी वो टूटकर बिखर जाती है

बयां नहीं हो सकता दर्द अंदर का कि कैसे

वो सीकर खुद को तेरी जुदाई में वो

तेरी खुशी के लिए कैसे मुस्कुराती है

” मां को भी ना जाने बनाने वाले ने किस मिट्टी से बनाया है

पूरी उम्र औलाद को घर में बिठाकर खिला भी नहीं सकती और उनकी जुदाई भी सह नहीं सकती”

तेरी कामयाबी के लिए मिन्नते हजार करती है

पर तेरी जुदाई के नाम से वो अन्दर तक हिल जाती है

वो रात रात भर नहीं सोती है

मां की ममता ऐसी होती है

” बिन तेरे हालत ऐसी मेरी जैसे चंदा बिना चकोरी

ना दिन में चैन कहीं, ना रात ही सुकूं मुझे देरी”

कलमकार :- रेखा यादव।

3.) आज सुबह में ओ मुझे जगा रही थी।

मैंने गुस्से में डांटा, फिर भी ओ मुस्कुरा रही थी।

नींद खुली तो कोसों दूर पाया तुझे,

कैसे जियें माँ तु बहूत याद आ रही थी।

आंखों में नीर लिये अभी भी हतास हूँ।

सिर्फ ख्वाब में लगता है कि तेरे पास हूँ।

ख्वाब में हीं सही, तू मुझे सुला रही थी।

कैसे जियें माँ तू बहूत याद आ रही थी।

याद है, बचपन में तेरी मार बुरी लगती थी।

गलती कर पकड़ में न आते तो, नाराज बड़ी लगती थी।

पकड़ो ना माँ उस प्यार भरे गुस्से से,

याद है ओ दिन भी जब पीटकर मूझे तू, निराश भरी लगती थी।

पिजा, बर्गर, इडली, डोसा का क्या मोल है आज?

तेरे हाथों की फीकी चाय भी मीठी लगती थी।

तुझे भूलकर दोस्तों के साथ रहा करते थे।

देर शाम तक मेरी राह ताकते रहती थी।

ऐ माँ ब्यास राज आर्यन तेरे बिन अधूरा है,

इस धरती पर एक तू हीं सीधी लगती थी।

ब्यास राज आर्यन


4.)

माँ शब्द एक

पर जज़्बात अनेक

दुनियाँ में आने के पश्चात् पहली गोद जिसकी मिली

वो थी माँ

दुनियाँ में अगर आपको आपकी उम्र से नौ महीने

ज़्यादा कोइ पहचाने वो है माँ

मुँह से निकला पहला वो शब्द माँ

नारी का स्वाभिमान, बनना माँ

कहते हैं एक छोटी सी चोट भी कितना दर्द देती हैं

सोचो ज़रा प्रसव पीड़ा को सह कर जो इंसान को पृथ्वी पर

लाती हैं वो होती हैं माँ

कभी दर्द हुआ सबसे पहले याद आती हैं माँ

जो एक संतान के जन्म के बाद अपनें लिये जीना भूल

जाती हैं वो हैं माँ

खुद बिना खाये जो संतान का पेट भर्ती हैं वो होती हैं माँ

सारी दुनियाँ के काम का समय निर्धारित हैं

पर जो इतवार को भी नहीं छुट्टी लेती वो होती हैं माँ

सारी दुनियाँ तुम्हें नकार दें पर जो खामियों के साथ भी तुम्हें

अपनाये वो होती हैं माँ

जिसका प्रेम सागर की गहराईयों और आसमान की ऊंचाइयों से परे हो

वो हैं माँ

तुम्हारे कटु वचनो का भी जो प्रेम से उत्तर दें वो हैं माँ

तुम्हारी हर सफलता की सीढ़ी हैं माँ

क्युकी एक शब्द में सब कुछ हैं मेरे लिये माँ

भगवान् के पहले भी जिसका नाम लूं वो हैं माँ।

Moumita Chakraborty


5.)

“मां”

मम्मी आई अम्मा यह सिर्फ शब्द नहीं एहसास है

सारे रिश्तो में खास हैं बेटा बेटी सब को जोड़े रखती दोनों के दिलों के पास है

मां सिर्फ़ शब्द नहीं एहसास है।

यह मौजूद हो तो घर रोशन कोना-कोना जगमगाता है ,मां तेरा हमसे दिल का नाता है।

तेरे सिवा इस दुनिया में कोई ना मुझे समझता है, हर कोई समझाता है ,मेरे चेहरे को देखकर मेरे दिल का हाल तुझे कैसे पता चल जाता है, तेरा हमसे दिल का नाता है।

हमारी एक मुस्कान के खातिर तूने अपनी खुशियां वार दी हमारी परवरिश के खातिर अपनी जवानी वर्दी मेरे सपनों के खातिर अपनी नींदों को कुर्बान कर दी , नहीं सकती तेरी नन्ही सी जान जरा सी सर्दी जुखाम और बुखार की खातिर कोई ना हुआ मेरा मां तेरे जैसा कोई नहीं होता परेशान, हमारे परेशानियों की खातिर दूर होती है हमें जगता देख तू पूरी रात नहीं सोती है, मां तेरा हमसे दिल का नाता है।

हमारे ऊंची उड़ान की खातिर तूने अपने पंखों की कुर्बानी दे दी मां, हमारे पीछे अपनी पूरी जिंदगी लुटा दी मां, आज ना आए हम पर हमारी सुरक्षा के खातिर तू खड़ी रही आंधी और तूफान के आगे तू डटी रही मां, तेरा हमसे दिल का नाता है मां।

तुझे डर था कहीं हम हार ना जाए जिंदगी की जंग से तूने सिखाया जीतने का तरीका नया ढंग से ।

तेरे समर्पण को देखकर सभी दंग है मां सिर्फ शब्द नहीं यह एहसास है सभी रिश्तो में खास है।।”

फलक परवीन


6.)

माँ शब्द ही अपने आप मे अनोखा है

ऐसे अनोखे शब्द को कोई कैसे भुला सकता है

माँ मै सोचता हु की तू हर जगा मेरे साथ रहे

कियु की तेरा साथ ही अनोखा है

तू रुला देती है अपने ना होने से

इसी लिए तेरा साथ ना होना मेरे लिए धोका है

माँ धोका दे ऐसी उम्मीद नहीं मुझे इसी उम्मीद से दुनिया मे माँ शब्द अनोखा है

इस अनोखे शब्द को लोग माँ, अम्मा, मम्मी, आई और ना जाने कितने नमो से बुलाते है

इस बुलाने के अहसास से माँ ख़ुद मे अनोखा है

ए माँ तू नाराज़ ना होना कभी अपने इस नादान बच्चे से

मै रो दुगा

अनोखा और कीमती चीजे मै समझ नहीं प्यार अपने नादानी मे

अनोखा वो भी है जिसने मेरी माँ का साथ निभाया मै कैसे भूल जाऊ अपने पिता को

ए खुदा तू इतनी कीमती चीजे बना कैसे लेता है जिसमे माँ का कोई मोल नहीं

माँ माँ माँ बोला हु तो ेएक ही ख्याल आता है तू अनमोल है खज़ाना मेरा कभी खाली ना हो खज़ाना मेरा

माँ अनोखी है और मै इस अनोखे शब्द को दिल मे रखना चाहता हु

लिखना तो बहुत चाहता हु मगर डरता हु कही ज्यादा लिखने मे गलती ना हो जाये

माँ मेरी माँ तू अनमोल है खज़ाना मै तेरा लाडला जो हु तेरा दीवाना

Md. Arif Mallic


7.)

Jaha jaha aankhein khuli waha waha bas dhunda hai tuje maa,

Maana nahi lekin chaha sunna Tera kaahaan,

Bachpan se shuru thi kahani meri ;aur us kahaani main bachpan se hi tu thi sab kuch mere liye meri maa,

Chahat teri samjh nahi paya kabhie kyuki main toh bas chota baccha thana maa,

Aur ab jab bada hua toh tu aur budhiee hone lagi hai maa,

Kyu naa main taufe main tuje meri umar bhi dedu ,

Chahu tuje ki puri duniya ki chahat bhi teri kadmo main laake tuje dedu,

Ishwar ne taufe main tuje meri maa banaake hai bheja,

Tere sanskaro se hua bada main aur sudhra mera lehza,

Shukraguzaar hu main jisne itni khubsurat Mamta waali maa ko hai mere pass bheja..

Piyush Tanwar


8.)

मां

भावनाओं से संपूर्ण

ऐसा किरदार

जो संपूर्णता, पवित्रता, त्याग और ममता

से परिपूर्ण।

मातृत्व का कर्तव्य उसे

प्रतिपल सजग और सृजनशील बनाता।

नए शरीर को सफलतापूर्वक गढ़ना

उसकी सबसे बड़ी जीत।

उसके सुरभित, सुगंधित आंचल में

ममता की खुशबू से महकता जीवन।

परिवार बचाने से लेकर

परिवार चलाने का युद्ध

लड़ती वह सतत

लिए एक मीठी सी मुस्कान।

Aarti Bais


9.)

दुनिया की सबसे बड़ी दौलत है माँ

हमारी हर खुशी में शामिल हैं माँ

माना कि भगवान होते हैं दुनिया में

पर किसने देखा है , हमारे लिए तो हमारा ईश्वर हैं माँ

बिना कुछ कहे सब कुछ समझ जाती हैं

हमारी हर बात मान जाती हैं

कितनी अच्छी और कितनी भोली है माँ

हमारे एक दुख से वो भी दुखी हो जाती हैं

जब हम रातों को नही सोते तो उसे भी नींद कहा आती हैं

खुद भूखी रह लेती है पर हमें हर रोज खाना खिलाती हैं माँ

पूरा घर ही नही हमारी पूरी दुनिया रौशन करती है

हमारी हर खुशी को अपना समझती है

अपनी ख्वाहिशों की कहा उसको परवाह रहती हैं

हमारी हर छोटी ज़रूरत का ध्यान रखती है

Ratnesh Kumar Verma


10.)

जी करता है फिर

बार बार ” मां ” को पुकारूं ।

बचपन में जब बोलना सीख रहे थी

तोतली आवाज में ” मां ” कई बार पुकारा।

गूंज रही है मेरे कानों में

बस गई है दिलों दिमाग में

वो कर्णप्रिय शब्द …मां

वो अपनी कोख में मुझे ।

गोद उठाया, कभी अंचल में छिपा लेती

उंगली पकड़ कर चलना सिखाती

मानो वो खुदा का रूप हो।

रोते, बिलखते , पैर फेंकते, कभी नोंचते है

मिट्टी से सने हुए हो लेकिन मां

तब भी प्यार से पुचकारते हुए गले लगा लेती है

कभी सहलाया तो कभी बहलाया

कभी लोरी सुनाया।

सबको खिलाकर कर मां खुद ही भूखी रह गई ।

अक्सर मां बीमार पड़ जाती है

पर कभी न कहती मैं बीमार हूं

बच्चों की फिक्र करती है।

मजदूर अपनी समय पर काम पर जाते हैं

मेहनत की कीमत तय होती है , छुट्टी भी

मां को काम से न आराम है , न पगार है ।

कोई कुछ भी कहे

मां लड़ जाती है सारी दुनियां से अपने लाड़ली के लिए

जाने कहां से इतनी ममता लाती हो मां ।

छोटी भेंगरा

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